यहाँ से खाली हाथ जाते हैं लोग,
जीते जी कुछ मर जाते हैं लोग।
चढ़ती जवानी पे इतना मत इतरा,
आंसुओं की आंच पे गल जाते हैं लोग।
भूखे जो सो जा रहे हैं वालदैन,
बिगड़ी औलाद से डर जाते हैं लोग।
जान पे खेल कर करते हैं वतन की रक्षा,
इतिहास में दर्ज नाम कर जाते हैं लोग।
रियासत, विरासत, निज़ामत बिकती है,
जब बेलगाम कोठों पे जाते हैं लोग।
जहर देकर देते हैं दुआ आजकल,
वायदे से पेट भर जाते हैं लोग।
पैसे के लिए दिखाते हैं नंगा बदन,
खुद की नज़रों में गिर जाते हैं लोग|
जिंदा रहने के लिए अब दूरी जरूरी,
जानलेवा वायरस बनाते हैं लोग।
बदला लेते हैं इस कदर कह में ,
सच्चाई, हमदर्दी बेच जाते हैं लोग।
जमीं के टुकड़े पे बहा देते हैं खून,
अपनापन जल्दी भूल जाते हैं लोग।
देहज़ कम लाने पर उठता है धुँआ,
जवान लड़की जला डालते हैं लोग।
मांगेगे ऑक्सीजन लेकर कोटरा,
वृक्ष है जीवन, भूल जाते हैं लोग।
हँसो- हँसाओ, गले लगाओ सबको,
कौन है टिका, चले जाते हैं लोग।
ज़िन्दगी से गिला शिकवा मत कर कभी,
लुफ़्त से वंचित कितने हो जाते हैं लोग।
(किसी ओर द्वारा रचित)
Heart touching poetry
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thank you ji
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बिल्कुल सही कहा
खूबसूरत रचना
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शुक्रिया जी🙏🙏😊
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🌼🌷🌺🌸💮🏵️🌻🥀💐🤗😃
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