हारा हूं सौ बार

हारा हूं सौ बार,

गुनाहों से लडलड़कर,

लेकिन बारम्बार लड़ा हूं,

मैं उठ-उठ कर।

इससे मेरा हर गुनाह भी मुझसे हारा,

मैंने अपने जीवन को इस तरह उबारा,

डूबा हूं हर रोज़,

किनारे तक आ आकर।

लेकिन मैं हर रोज़ उगा हूं जैसे दिनकर,

इससे मेरी असफलता भी मुझसे हारी,

मैने अपनी सुंदरता इस तरह सँवारी।

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