हारा हूं सौ बार,
गुनाहों से लडलड़कर,
लेकिन बारम्बार लड़ा हूं,
मैं उठ-उठ कर।
इससे मेरा हर गुनाह भी मुझसे हारा,
मैंने अपने जीवन को इस तरह उबारा,
डूबा हूं हर रोज़,
किनारे तक आ आकर।
लेकिन मैं हर रोज़ उगा हूं जैसे दिनकर,
इससे मेरी असफलता भी मुझसे हारी,
मैने अपनी सुंदरता इस तरह सँवारी।
Wonderful words…
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Thank you
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