भंवर में फंसे हुए तो क्या हुआ,
हम डूबे नहीं हैं ठहरे हुए हैं।
घर-घर के दरवाजे पर,
ताले नहीं पहरे पड़े हुए हैं।
दरिया फिर समतल होगा, हम फिर उभर कर निकलेंगे
भयानक इस भवंडर से, हम फिर तैर कर निकलेंगे।
छलनी कर दिया तो क्या हुआ,
कुछ पंखों के दो पर ही थे।
जान और जिगर सलामत है,
हम हर पल आजमा कर बिताएंगे।
गिरते गिरते उड़ेंगे फिर, दुबारा ये पर निकलेंगे,
भयंकर इस भवंडर से, हम फिर तैर कर निकलेंगे।
एक बात समझ तो आई हैं,
क्या गुनाह था क्या गलती थी
कुदरत अपनी जागीर नहीं
ये भ्रम हमने पाली हुई थी
जितना हम बाहर निकले, उतने ही भीतर निकलेंगे,
भयानक इस भवंडर से, हम फिर से तैर कर निकलेंगे।।
( किसी ओर द्वारा रचित)
Stay home, stay safe
Stay healthy 💞💞💖
बेहद सुंदर और बेहतरीन पंक्तियाँ है💕🤗
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शुक्रिया जी🙏🙏
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Very nice and positive
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Thank you🙏🙏💐💖
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